| सुनिए न..चुप्पे से डाला डाका और कुच्छो न दिया by nikhilndls on 27 February, 2013 - 12:01 PM | ||
|---|---|---|
nikhilndls | सुनिए न..चुप्पे से डाला डाका और कुच्छो न दिया on 27 February, 2013 - 12:01 PM | |
ए जी ..ठीक से बैठिए। थोड़ा घसकिए न..लेडीज को तो जगह दीजिए। कितना देर से खड़े-खड़े आ रही है। आप भी गजबे करते हैं भाई..। जगह है का? देख नहीं रहे हैं कि कोचाइल हैं हमनी सब। तभी संवाददाता ने हस्तक्षेप किया। भाई साहब..महिला है। इन्हें बैठने दीजिए। आप कहते हैं तो..।महिला को जगह मिल गयी। बैठते ही उसने राहत की सांस ली। पटना साहिब स्टेशन से दोपहर 1:20 बजे अपर इंडिया एक्सप्रेस खुल चुकी थी। छायाकार राजू के कैमरे का फ्लैश जैसे ही चमका। महिला के पास खड़े एक व्यक्ति ने आपत्ति जतायी। अरे..अरे..आप फोटो काहे खीच रहे हैं। संवाददाता नम्रता से बोला-श्रीमान..हम लोग दैनिक जागरण से हैं। अभी-अभी रेलमंत्री पवन बंसल ने जो रेल बजट पेश किया है उसी पर रेल यात्रियों की प्रतिक्रिया लेने के लिए आपके साथ सफर पर निकले हैं। ओ..अच्छा।..का रेल बजट की बात करते हैं..बिहार को कुच्छो दिया है का? अभी हमहूं घर से टीवी पर बजट देख करके ही ट्रेन में बैठे हैं। सामने बैठे एक अन्य व्यक्ति ने गप्प में दखल दिया-ट्रेन की हालत देख रहे हैं। तल्ले ऊपर आदमी है। सुरक्षा का कोनो इंतजाम है? कोई बदमाश आएगा और आसानी से कुच्छो करके चला जाएगा। बजट में सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। रेल किराया सीधे न बढ़ा के तत्काल टिकट और रिजर्वेशन में तो चार्ज बढ़ा ही दिया है। एक अन्य यात्री बोल पड़ा-सीधे कहिए न कि चुपके से यात्री की जेब पर डाका डाला है। हा..हा..हा..बागी में ठहाका गूंजा। तभी मक्को लीजिए..लाल-लाल मीठा-मीठा..बच्चा चूसे और बड़ा खाए..मक्को लीजिए..।ए आगे बढ़ो। भीड़ में तू लोग भी पहुंच जाते हो। हां..तो हम कह रहे थे कि दिल्ली जाने के लिए पटना से और ट्रेन देना चाहिए था। यहां से बच्चा सब पढ़े बाहर जाता है। दो महीना पहले रिजर्वेशन कराने के बाद भी टिकट कंफर्म नहीं होता है। दूसरे केबिन में सीकर पकड़ कर हिचकोले खा रहा एक यात्री बोल पड़ा-ट्रेन में बाथरूम का हाल देखा है। पानी भी नहीं है। खिड़की टूटी है। सीट फटी है। बोगी तो बेचारा भीख मांगने वाला बच्चा साफ करता है। सुविधा यात्रियों को मिलती नहीं है। हर बार दूहा यात्रियों को ही जाता है।गाड़ी अपनी रफ्तार से चलती हुई पटना साहिब से गुलजारबाग स्टेशन, राजेन्द्र नगर, पटना जंक्शन, फुलवारी होते हुए दानापुर जंक्शन दोपहर करीब तीन बजे पहुंची। यहां बड़ी संख्या में यात्री उतरे। संवाददाता का सफर यहीं खत्म हुआ। अब लौटने के लिए पूछताछ काउंटर पर पता किया तो भागलपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस 4:10 में खुलने वाली थी। बहुत मुश्किल से बोगी में जगह मिली। एक बोगी में हम भी टिक गए।यहां तो बजट पर पहले से ही बहस छिड़ी थी। एक यात्री के तल्ख तेवर देख नाम पूछा। बोले- सिद्धेश्वर सिंह और भागलपुर तक जाएंगे। साल में दो बार फ्यूल सरचार्ज के हिसाब से किराया बढ़ाने की बात पर वह खफा थे। पास बैठा दूसरा यात्री बोला-मालभाड़ा में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी से महंगाई तो और आसमान छूएगी। हां..ठीक कह रहे हैं। इस पर कई यात्रियों ने सहमति जतायी। रायबरैली की तरह बिहार में भी रेल कारखाना देना चाहिए था। क्या बात करते हैं भाई साहब.. रेल की कई योजनाएं तो यहां पैसे के अभाव में पूरी नहीं हो पा रही है। इसके लिए बजट में कोई चर्चा भी नहीं किया मंत्री ने। गाड़ी रफ्तार पकड़ चुकी थी। पटना जंक्शन पहुंचते ही ट्रेन में यात्री मानो ठूंसे जा रहे हैं। बदन से बदन रगड़ाने लगा।सिर घूमा कर एक यात्री पीछे से बोला-वाई-फाई और एसएमएस अलर्ट की सुविधा बढ़ाने से अधिकांश यात्रियों को क्या वास्ता। सामान्य गाड़ियों में सफर करने वाले दैनिक यात्रियों से पूछिए। कितना कठदायक है रेल सफर। हां..पर्यटकों के लिए आजादी एक्सप्रेस चलाने की घोषणा अच्छी है। एक बार बैठिए और देश के सभी तीर्थ स्थल घूम लीजिए। इन यात्रियों ने एक ग्रुप ऐसा भी दिखा जिसने रेल भाड़ा बढ़ाने की वकालत की। पर कहा कि सुरक्षित, सुविधा के साथ और खुशी-खुशी रेल सफर करने से जुड़ा कोई मामला बजट में नहीं है। आम आदमी और यात्री यही चाहता है। शाम करीब पांच बजे भागलपुर-इंटरसिटी एक्सप्रेस पटना साहिब पहुंच चुकी थी। भीड़ में कुचलाते हुए हमने भी एक नंबर प्लेटफार्म पर उतर कर ही राहत भरी सांस लिया। | ||