लहसुन मंडी को रेलवे ट्रांसपोर्ट की जरुरत by railgenie on 22 September, 2012 - 12:01 PM | ||
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railgenie | लहसुन मंडी को रेलवे ट्रांसपोर्ट की जरुरत on 22 September, 2012 - 12:01 PM | |
घिरोर (मैनपुरी): स्थानीय लहसुन मंडी राष्ट्रीय स्तर की होने के बावजूद घोर उपेक्षा की शिकार है। इस मंडी से देश के राज्यों में लहसुन की बड़ी तादात में सप्लाई होती है लेकिन रेलवे ट्रांसपोर्ट की सुविधा मुहैया न होने के कारण क्षेत्रीय कारोबारियों को परेशानियों का सामना करना पडता है। इसके बावजूद इस ट्रैक पर मात्र 3 ट्रेनें चलती हैं। इनमें मात्र एक एक्सप्रेस है जिसका जनपद में मात्र दो जगह ठहराव है।लहसुन ढोने के लिए रेलवे ट्रांसपोर्ट सेवाएं न होने से घिरोर का लहसुन का कारोबार पटरी से उतर रहा है। करोड़ो रुपये से जुड़ा हुआ कारोबार ट्रकों पर ही निर्भर है जो काफी खर्चीला होता है।फर्रुखाबाद , शिकोहाबाद को जोड़ने वाली इस लिंक रेलवे लाइन पर तीन टूेनों में से एक कालिन्द्री एकसप्रेस हैं जो सिर्फ भोगंाव और मैनपुरी नगर में ही रुकती है। शेष दो पैसेंजर ट्रेनों के ठहराव हर स्टेशन पर है। लेकिन यह टूेनें करीब 110 किलोमीटर की दूरी पांच घंटे में तय करती है। अधिक समय लगने के कारण लोग बसों में सफर करना ज्यादा पसंद करते है।फर्रुखाबाद -हरिद्धार पैसेंजर ने हरिद्धार जाने वाली बरेली पैसेंजर से जुड़ते है। जबकि शिकोहाबाद कासगंज पैसेंजर मात्र 110 किलो मीटर की दूरी पांच से ज्यादा घंटों में तय करती है। पैसेंजर ट्रेनों की कमी तो है ही। साथ रेलवे ट्रांसपोर्ट की उचित व्यवस्था ही नहीं है जिससे यहां के कारोबारी परेशान हैं।घिरोर की लहसुन मंडी में बंगलौर, मद्रास, महाराष्ट, आसाम, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, मध्य प्रदेश आदि राज्यों से सबसे अधिक व्यापारी लहसुन खरीदने के लिए आते है। वही हैदराबाद,रामपुर, विलासपुर, भुवनेश्वर, कटक, आसन सोल, कलकत्त्ता, रांची, टाटा नगर, बंगलौर, मुंबई,बहरामपुर आदि प्रमुख मंडियों के लिए भी लहसुन यहां से भेजा जाता है। सैकड़ों उप मंडियों में यहां के लहसुन की अच्छी-खासी मांग है। |