रेलवे समय-सारिणी पर निर्भर है सरायगढ़ का प्रखंड कार्यालय 9533980 by nikhilndls on 04 August, 2012 - 06:19 PM | ||
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nikhilndls | रेलवे समय-सारिणी पर निर्भर है सरायगढ़ का प्रखंड कार्यालय 9533980 on 04 August, 2012 - 06:19 PM | |
सरायगढ़(सुपौल),निप्र:एक लाख से अधिक आबादी के विकास हेतु स्थापित प्रखंड एवं अंचल कार्यालय सरायगढ़-भपटियाही का काम काज बीते कुछ माह से रेलवे के समय सारिणी पर निर्भर हो गया है। इस कार्यालय में कार्यरत बाबू लोग दिन के 11 बजे ट्रेन से कार्यालय आते हैं और 3 बजे तक लौट जाते हैं। कभी-कभी तो ट्रेन के लेट रहने पर कार्यालय का ताला दोपहर तक भी नहीं खुलता है। इस कारण क्षेत्र के लोगों में भारी परेशानी बढ़ गई है। आमलोगों द्वारा लगातार किए जा रहे शिकायत को देख जागरण संवाददाता ने शुक्रवार को प्रखंड, अंचल, आरटीपीएस, सीडीपीओ एवं मनरेगा कार्यालय का ऑन द स्पॉट मुआयना किया। पूर्वाहन के ठीक 10.30 बजे बीडीओ कक्ष, नाजिर कक्ष, सीओ कक्ष, प्रखंड एवं अंचल कर्मी कक्ष सेवा का अधिकार कार्यालय एवं मनरेगा कार्यालय में ताला लटका था। कार्यालय परिसर में कई लोग इधर-उधर भटक रहे थे। पूछने पर बोले बहुत जरूरी कार्य से आये हैं। मगर कोई मिलते ही नहीं हैं। बाबू लोग 11 से 12 बजे आएंगे तब तक चक्कर ही लगाना पड़ेगा। एक व्यक्ति ने बताया कि बीडीओ साहब किसी प्रशिक्षण में पटना में हैं। सो प्रखंड, अंचल, जन वितरण, बाल विकास सहित कुछ अन्य विभाग का कार्य ठप पड़ा है। साहब फिलहाल सभी विभाग एक साथ देख रहे हैं। कार्यालय परिसर में उपस्थित कुछ लोगों का कहना था कि जब से साहब यहां योगदान किये हैं तब से कार्य की गति धीमी पड़ गई है। कार्यालय कर्मियों की मनमानी हद से बढ़ गई है। किसी भी काम के लिए बायें हाथ को बगल में बढ़ाना पड़ता है। इंदिरा आवास के द्वितीय किस्त के लिए प्रति व्यक्ति डेढ़ से दो हजार रूपये सुविधा शुल्क की व्यवस्था है। जो नहीं देते उसके आवेदन पंचायत सचिव के पास चूंहे खाते हैं। अंचल कार्यालय की कहानी तो और ही गजब है। दाखिल खारिज से लेकर अन्य कार्यो में बिना नाजायज रकम दिए कुछ नहीं होता है। आरटीपीएस कार्यालय पर जमा लोगों मे कुछ ने बताया कि वे सभी कई दिनों से आ रहे हैं जो लोग पैसे देते हैं उसका काम समय से हो जा रहा है। मनरेगा कार्यालय में लटका ताला हर संकेत दे रहा था कि उसके हाकिमकभी कभार ही आते हैं। सीडीपीओ कार्यालय में प्रधान सहायक अकेले मौन बैठे थे। पूछने पर बोले अभी नये-नये आये हैं। सीडीपीओ की कुर्सी खाली पड़ी थी। कुल मिलाकर सभी कार्यालयों की स्थिति एक जैसी देखी गई। एक पदाधिकारी के जिम्मे कई विभाग होने से जहां कार्य बाधित दिखा, वहीं कार्यालय कर्मियों की मनमानी से भी लोग हताश दिखे। |