घर कैसे लौटे परदेशी पिया by RailXpert on 04 November, 2012 - 12:00 AM | ||
---|---|---|
RailXpert | घर कैसे लौटे परदेशी पिया on 04 November, 2012 - 12:00 AM | |
दीपावली तथा छठ की उलटी गिनती आरंभ हो गयी है. घरों में त्योहार की तैयारी प्रारंभ हो गई है. इसके साथ ही परदेश में रहनेवाले परिजनों के पर्व पर आने का इंतजार भी शुरू हो गया है. लेकिन ट्रेनों में आरक्षण नहीं मिलने के कारण अपनों के घर आने को लेकर लोगों में संशय बरकरार है.वर्ष में दो ही बार तो छठ तथा होली में परदेशी लौटते हैं. उसमें इस बार छठ पर उनका आना तय नहीं लग रहा. रिजर्वेशन टिकट की बात तो दूर वेटिंग भी नहीं मिल रहा. रेलवे द्वारा चलायी जा रही स्पेशल ट्रेन में भी बर्थ उपलब्ध नहीं है.रोजगार के अवसर यहां पर्याप्त उपलब्ध नहीं होने के कारण इस क्षेत्र के हजारों लोग अन्य प्रांतों में रोजी-रोटी कमाते हैं. जिला का शायद ही कोई ऐसा परिवार हो, जिसके सभी सदस्य घर पर रहते हैं. अधिकांश लोग रोजी के लिए अन्य प्रदेशों में रहते हैं. जबकि युवा वर्ग आधुनिक शिक्षा के लिए महानगरों में शरण लिये हैं.मिथिलावासियों के लिए आवागमन का सबसे प्रमुख साधन रेलवे है. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, पूणो, बेंगलुरू सरीखे स्थानों के लिए ट्रेन ही मूल रूप से एकमात्र माध्यम है. जाहिर है कि लोग इसी पर आश्रित हैं.लोक आस्था के महापर्व छठ पर आमतौर पर सभी परदेशी पूत अपने घरों को लौटते हैं. लिहाजा आवक ट्रेनों में यात्रियों का दबाव काफी बढ़ गया है. आलम यह है कि यात्रियों को आरक्षण टिकट नहीं मिल रहा. बिहार संपर्क, स्वतंत्रता सेनानी, पवन, बागमती समेत शहीद व सरयू यमुना एक्सप्रेस में पर्व से ठीक पहले वेटिंग टिकट मिलना भी बंद है. |