भारतीय रेल इस समय अपने बुरे दौर से गुजर रहा है l ना सिर्फ रेल दुर्घटनाएं आम होती जा रही हैं बल्कि रेल यात्रियों के लिए भी ट्रेन में बिताया गया समय परेशानियों से भरा हुआ ही होता है l ट्रेनों के सफर पूरा करने का ना तो कोई समय है ना कोई ठिकाना l इसके साथ ही लगातार बेपटरी होती हुई ट्रेनें रेलवे की मूल संरचना पर सवाल खड़ा कर रही है l ऐसे में पांच ऐसे सवाल रेलवे पर उठते हैं जिनके उत्तर आपको यह बता देंगे कि भारतीय रेल सही दिशा में कार्य कर रही है कि नहीं ?
आखिर रेल दुर्घटनाएं कैसे रुकें?
इस प्रश्न का जवाब रेलवे की तरफ से कभी भी सीधी तौर पर ना देकर यह कहा जाता है कि रेलवे की बुनियादी सुविधाओं पर कभी भी ध्यान नहीं दिया गया l जबकि दूसरी तरफ यात्रियों की संख्या तेजी से बढ़ गई l आंकड़े यह बताते हैं कि रेलवे ट्रैक का विस्तार 35 प्रतिशत हुआ जबकि यात्रियों की संख्या में 1500 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई l वही माल गाड़ियों की संख्या में 1700 प्रतिशत की वृद्धि हुई रेलवे l हर बार आंकड़े गिनाकर इस सवाल को घुमाने का प्रयास करता है जिससे यह पता चलता है की इसका सीधा सरल कोई भी कारगर उपाय रेलवे के पास फिलहाल नहीं है l
क्या रेलवे मैं होने वाले सुधारों के लिए जितनी बड़ी संख्या में फंड की आवश्यकता है वह पूरी हो पाएगी ?
इस प्रश्न का जवाब कभी भी नहीं में कोई भी राजनेता नहीं दे सकता क्योंकि ऐसे में रेल मंत्री और उसकी पार्टी को फजीहत सहनी पड़ेगी ऐसे में इसका जवाब फिलहाल यह होता है कि फंड इकट्ठा करने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति की आवश्यकता है और साथ ही साथ काम की शैली में भी बदलाव लाना होगा हालांकि यह कैसे होगा यह पता नहीं l
तीसरा प्रश्न यह उठता है कि हाल में होने वाली दुर्घटनाओं में ट्रैक फ्रैक्चर का बड़ा हाथ रहा है तो क्या रेलवे के पास इससे निपटने के लिए कोई योजना है ?
दुर्घटना के बाद रेलवे हमेशा ही आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल पर जोर देती रही है परंतु यह तकनीके कब और किस तरह से कार्यरत थी जाएंगे इसकी कोई भी समय सीमा नहीं है l यह प्रश्न पूछने पर जवाब यह मिलता है कि रेल फ्रेक्चर को रोकने के लिए ट्रैक की नियमित सफाई जरूरी है जिसके लिए रेलवे एप्रन से ट्रैक को लैस कर रहा है l दूसरी तरफ पुराने ट्रकों को बदलने के लिए टेंडर भी निकाल दिए गए हैं l जिसके साथ ही साथ 10000 ऐसे सपोर्ट चिन्हित किए गए हैं जहां पर स्प्रिंग लगाने की आवश्यकता है परंतु अभी तक लगाई नहीं गई है l यह सब कब तक और किस तरह से होगा इसका कोई सीधा जवाब अभी तक रेलवे के पास नहीं है l
चौथा सवाल आता है कि ट्रैक मैन और गैंगमैनों की कितनी कमी है ?
इस प्रश्न का जवाब रेलवे हमेशा से ही सीधा-सीधा देती रही है कि 50000 से 60000 रेल कर्मियों की कमी है परंतु यह कमी कैसे पूरी होगी इस प्रश्न का जवाब अभी तक दिया जाना बाकी है l रेलवे का कहना है कि कुली भी गैंगमैन बनने को राजी हैं परंतु यह कैसे होगा यह नहीं पता l इस समस्या का समाधान कैसे हो पाएगा या नहीं यह भी नहीं पता l रेलवे अंत में बस यही कहती आ रही है कि पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है लेकिन एक आदमी कितनी पेट्रोलिंग कर पाएगा जब की रेलवे ट्रैक की पेट्रोलिंग के लिए सैकड़ों लोगों की आवश्यकता है l
पांचवा सवाल रेलवे की कैटरिंग सुविधा को लेकर है जिस पर हमेशा ही सवालिया निशान खड़े होते हैं कि रेलवे अच्छा खाना उपलब्ध करा पाने में अक्षम है ?
यात्रियोंकी लगातार आ रही शिकायतों के बावजूद रेलवे बस कहने के लिए अपनी कैटरिंग सर्विस के ऊपर नजर रखती है l इस प्रश्न के जवाब में हमेशा ही यह कहा जाता है कि विमानों की तर्ज पर रेलवे को खाने के पैकेट देने होंगे जिसके लिए IRCTC काम कर रही है l लेकिन कब तक और कैसे इसका कुछ नहीं पता यह होगा भी कि नहीं यह भी नहीं पता l
आखरी सवाल यह आता है कि ट्रेनों की लेटलतीफी कब तक खत्म होगी ?
इसप्रश्न का जवाब आजकल की ही तरह नई तकनीकों के उपयोग में लाने पर छोड़ दिया जाता है l फिलहाल रेलवे का कहना है कि विमानन के तर्ज पर ऐसे उपकरणों का टेस्ट किया जा रहा है जिससे दूसरी तरफ से आने वाली ट्रेन का या सामने खड़ी हुई बाधा का काफी पहले ही ट्रेन के ड्राइवर को पता चल जाएगा जिससे ट्रेनों की गति बढ़ाने में मदद मिलेगी l अंत में रेलवे का बस यही कहना है कि इन सभी तकनीकों पर काम तेजी से हो रहा है l
कुल मिलाकर यह देखा जाए तो पता चलता है कि सवाल ज्यादा है और जवाब कम; करना भी ज्यादा है परंतु कैसे करेंगे कब तक करेंगे रेलवे को यह अभी खुद ही नहीं पता l बात यह भी सही है कि पुरानी पड़ चुकी आधारशिला को दोबारा से मजबूत करना इतना आसान नहीं लेकिन फिर भी अगर रेलवे को विश्व में अपनी साख बरकरार रखनी है तो इन सभी पर जल्द से जल्द कार्य पूरा करना होगा l रही बात वर्तमान समय की अभी तो स्थिति में सुधार होता प्रतीत सा नहीं होता l