भारतीय रेल का बड़ा इतिहास अति संक्षिप्त में

भारतीय रेल का इतिहास; जब नहीं होते थे टॉयलेट

अंग्रेजों के शासनकाल में शुरू हुई भारतीय रेल का इतिहास 168 साल पुराना है | पहली ट्रेन भारत में 16 अप्रैल 1853 में चली थी जो मुंबई यानी बम्बई के बोरीबंदर स्टेशन से ठाणे स्टेशन पर पहुंची थी | बोरीबंदर स्टेशन अब छत्रपति शिवाजी टर्मिनल के नाम से जाना जाता है | इस पहली भारतीय ट्रेन में लगभग 400 के आसपास यात्रियों ने सफर किया था जो 34 किलोमीटर लंबा था | उस समय ट्रेन का चलना भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी | चूँकि ये 18वीं शताब्दी की ट्रेन थी तो इसको भाप के इंजन के जरिए चलाया गया था |

इसके बाद 1881 में पूर्वोत्तर भारत में पहली बार टॉय ट्रेन चली थी जो 2 फुट चौड़ी नैरोगेज ट्रैक पर चलाई गई थी | इसकी रफ्तार बहुत ही कम थी और आज इसे हेरिटेज ट्रेन का दर्जा हासिल है, और इसी रूप में यह ट्रेन चलाई जाती है जिसमें दूर-दूर से सैलानी सफर करने आते हैं |

14 अगस्त 1947 को भारत के बंटवारे के साथ भारत का रेल नेटवर्क भी हिंदुस्तान और पाकिस्तान में बट गया था और आजादी के 4 वर्ष बाद 1951 में इसका राष्ट्रीयकरण किया गया था |

भारतीय रेल के इतिहास में आपको यह बताते चलें कि शुरुआत में चल रही ट्रेनों में टॉयलेट की सुविधा नहीं होती थी जिसे 1909 में यात्रियों के लिए शुरू किया गया जब एक यात्री ओखल चंद्र सेन ने पश्चिम बंगाल के रेलवे स्टेशन को एक चिट्ठी लिखकर शिकायत की कि जब वे लघुशंका के लिए गए थे तो उनकी ट्रेन चली गई थी जिस कारण उनका सफर बीच में ही अधूरा रह गया था | उस यात्री की शिकायत के बाद रेलवे ने सुनवाई करते हुए सभी डिब्बों में यात्रियों के लिए टॉयलेट की व्यवस्था की | 1891 में केवल प्रथम श्रेणी डिब्बों में टॉयलेट की सुविधा दी गई थी जबकि अन्य किसी भी श्रेणी के डिब्बों में यह सुविधा नहीं थी |

भारतीय रेलवे के नाम पर विश्व के कई रिकॉर्ड भी दर्ज है | इस समय भारतीय रेल विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे पुल बना रहा है जो चिनाब नदी पर बन रहा है और इस पुल ने ऊंचाई के मामले में पेरिस के एफिल टॉवर को भी पीछे छोड़ दिया है | वर्तमान समय में भारतीय रेल के पास एक लाख 15000 किलोमीटर लंबे रेल ट्रकों का जाल फैला हुआ है जो रूस, चीन और अमेरिका के बाद दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क माना जाता है | इसके अलावा यह दुनिया का 9वां सबसे बड़ा नौकरी देने वाला विभाग है जिसमें 16 लाख लोग काम करते है | नई दिल्ली मेन स्टेशन दुनिया का सबसे बड़ा रूट रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम है  और इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया है | इसके अलावा विश्व का सबसे लंबा प्लेटफार्म भी भारतीय रेलवे का ही अंग है  जो उत्तर प्रदेश के  गोरखपुर स्टेशन का  प्रथम प्लेटफॉर्म है जिसकी लंबाई  1366.33 मीटर है |

1988 में भारतीय रेलवे ने दिल्ली और भोपाल के बीच शताब्दी एक्सप्रेस चलाई थी जिसकी रफ्तार 150 किलोमीटर प्रतिघंटा थी परंतु इसके बाद भारतीय रेल ने गति के मामले में कुछ खास प्रदर्शन नहीं किया |

2002 में भारतीय रेलवे ने पहली बार टिकट बुकिंग की सुविधा ऑनलाइन की थी जिसमें घर बैठे लोग टिकट बुक करा सकते थे |

वर्तमान समय में भारतीय रेलवे प्रतिदिन ढाई करोड़ लोगों को यात्रा कराता है जिसमें छोटे बड़े मिलाकर 750 रेलवे स्टेशन है |


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