Indian Railways News => | Topic started by greatindian on Jul 13, 2012 - 03:00:36 AM |
Title - वाह! शाम की ट्रेन के लिए सुबह से इंतजारPosted by : greatindian on Jul 13, 2012 - 03:00:36 AM |
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गोरखपुर : केस 1- अपराह्न 4 बजे के आसपास प्लेटफार्म नंबर दो पर लाइन में लगे बड़हलगंज के राकेश खड़ा नहीं हो पा रहे थे। बोले, आरक्षित टिकट के लिए कई दिन लाइन में लगा लेकिन नहीं मिला। अब यही एक रास्ता बचा है। किसी तरह ट्रेन पकड़ ली जाए। इसके लिए कल भी लाइन में लगा था लेकिन सीट नहीं मिली। घर वापस लौटना पड़ा। पता नहीं आज भी सीट मिलेगी या..। इसके साथ ही उनकी पीड़ा चेहरे पर उतर आई। केस 2- शाम 4. 50 बजे। बच्चों सहित परेशान राघव को गोरखधाम एक्सप्रेस में सीट नहीं मिल पाई थी। उपर से सुरक्षा बलों का डंडा भी खानी पड़ी थी। अब वह वैशाली का इंतजार कर रहे थे। उनके पीछे ही खड़े लाइन में लगे वाले 60 पार कर चुके दिग्विजय थककर नीचे बैठ गए। बोले, अब तो यही दिन देखना बाकी था। इसी बीच ट्रेन आ गई और भीड़ गाड़ी की तरफ बढ़ गई। इन यात्रियों की समस्याएं तो महज बानगी है। यहां तो रोज हजारों यात्री इस तरह की मुश्किलों से दो- चार हो रहे हैं। सीपीआरएस हो या यूटीएस। प्लेटफार्म हो या ट्रेन। हर जगह धक्कामुक्की है। दिल्ली और मुम्बई की तरफ जाने वाली गाड़ियां ठसाठस भरकर जा रही है। साधारण और शयनयान श्रेणी में कोई अन्तर नहीं रह गया है। टिकट लेने के लिए ही नहीं गाड़ी पर चढ़ने के लिए भी लम्बी लाइन लगानी पड़ रही है। इसके बाद भी जरूरी नहीं कि सीट मिल ही जाए। सीट पाने के चक्कर में कई चोटिल भी हो जा रहे हैं। कितनों की गाड़ी छूट जा रही है। आलम यह है कि शाम 4. 35 बजे जाने वाली गोरखधाम और 5. 05 बजे छूटने वाली वैशाली तथा 7 बजे शाम को प्रस्थान करने वाली कुशीनगर एक्सप्रेस के लिए यात्रियों को सुबह से ही इंतजार करना पड़ रहा है। बिहार के मुजफ्फरपुर, मैरवा, सिवान, गोपालगंज ही नहीं पूर्वाचल के देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज के यात्रियों के लिए यह यात्रा पहाड़ चढ़ने जैसी हो गई है। यह स्थिति तब है जब रेल प्रशासन प्रतिदिन लगभग हर गाड़ियों में एक से दो अतिरिक्त कोच लगा रहा है। दर्जनों विशेष गाड़ियां चलाई जा रही हैं। यात्रियों की सांसत पर रेलवे की बढ़ रही कमाई मजे की बात यह है कि यात्रियों की इन परेशानियों के बीच रेलवे की बल्ले- बल्ले हो गयी है। पिछले दो साल में ही यात्रियों से होने वाली आय बढ़कर दो गुनी हो गयी है। जबकि संसाधनों में कटौती का सिलसिला जारी है। उल्लेखनीय है कि पिछले सोमवार को स्टेशन स्थित यूटीएस (अनरिजर्वड टिकट सिस्टम) पर 5776210 रुपये की आमदनी हुई और 41777 यात्रियों ने यात्रा की। जबकि पिछले साल 6 जून को 5618071 रुपये की कमाई हुई और 43813 यात्रियों ने टिकट लिया था। सूत्रों की माने तो यह रिकार्ड लम्बी दूरी की गाड़ियों में नो रूम की स्थिति बनने पर ही होती है। जब टिकट नहीं मिलता है या वेटिंग होता है तो यात्री साधारण टिकट पर ही यात्रा करने को मजबूर होते हैं। लम्बी दूरी की ट्रेनों की संख्या वहीं है जबकि यात्रियों की संख्या हर साल डेढ़ गुनी बढ़ती जा रही है। बता दें कि स्टेशन स्थित यूटीएस पर औसत प्रतिदिन 25 लाख की आमदनी होती है और 30 हजार यात्री टिकट लेते हैं। इधर जून माह से यात्रियों की औसत संख्या 35 हजार से उपर पहुंच चुकी है। जबकि आय 40 लाख से उपर जा रहा है। यह आंकड़ा तो सिर्फ साधारण श्रेणी के यात्रियों के हैं। आरक्षित श्रेणियों के यात्रियों को जोड़ लिया जाए तो संख्या 50 हजार पार कर जाएगी, जो इधर कुछ दिनों से प्रतिदिन यात्रा कर रहे हैं। |