Indian Railways News => | Topic started by nikhilndls on Jul 23, 2012 - 15:00:57 PM |
Title - मालगाड़ी ने बिगाड़ी रेलवे प्लेटफार्म की दशाPosted by : nikhilndls on Jul 23, 2012 - 15:00:57 PM |
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प्लेटफार्म नंबर-1 पर पटरी की जो दुर्दशा हुई है, उसके लिए ऑपरेटिंग विभाग जिम्मेदार है। इस प्लेटफार्म में गुड्स ट्रेनों (मालगाड़ी) की आवाजाही प्रतिबंधित थी, लेकिन ऑपरेटिंग विभाग ने इसकी अनदेखी करते हुए मालगाड़ियों को स्टॉपेज देना शुरू कर दिया। मालगाड़ियां इस प्लेटफार्म पर पिछले दो साल से ठहर रही हैं, नतीजा यह कि सीमेंट के स्लीपर टूटने लगे और जर्जर पटरी खतरे का सबब बन गई थी। रेल प्रशासन ने तय समय में मरम्मत पूरा करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।प्लेटफार्म नंबर 1 के 900 मीटर लंबी पटरी तकरीबन 1000 स्लीपर के सहारे टिकी होती है। सीमेंट के ये स्लीपर टूट चुके थे और पटरी को स्लीपर से जोड़े रखने वाला पैंडरोल क्लिप भी निकल गए थे। दैनिक भास्कर की पहल के बाद रेल प्रशासन हरकत में आया और इस प्लेटफार्म के लिए तीन दिनों का ब्लॉक लेकर सुधार कार्य किया जा रहा है। मरम्मत का काम शुक्रवार की रात 8 बजे से शुरू हुआ। सोमवार की सुबह तक टूटे हुए 147 स्लीपर निकाले गए। इनके स्थान पर नए स्लीपर लगाए गए हैं। काम अभी भी जारी है और तकरीबन 300 मीटर लंबी पटरी के स्लीपर की जांच शेष है। ऐसे में माना जा रहा है कि टूटे हुए स्लीपरों की संख्या बढ़कर 200 के पार होगी। इस पूरे घटनाक्रम में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर पटरी की ऐसी दुर्दशा क्यों हुई? रेलवे के जानकार इसके लिए ऑपरेटिंग (परिचालन) विभाग को जिम्मेदार ठहराते हैं। बताया जाता है कि प्लेटफार्म नंबर 1 की पटरी की मरम्मत वर्ष 2007-08 में हुई थी। इसके बाद प्लेटफार्म नंबर 1 पर मालगाड़ियों को ठहराए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। लदान का लक्ष्य बढ़ने के साथ ही गुड्स ट्रेनों की संख्या बढ़ी और ऑपरेटिंग विभाग ने भी नियमों की अनदेखी शुरू कर दी। प्रतिबंधित प्लेटफार्म में गुड्स ट्रेनों को स्टॉपेज दिया जाने लगा। ट्रेनों को ठहराया तो गया, लेकिन पटरियों के रख-रखाव को नजरअंदाज कर दिया गया। इसके चलते पटरियों की स्थिति बदतर हो गई। |