Indian Railways News => | Topic started by railgenie on Jun 11, 2012 - 15:00:24 PM |
Title - तीन घंटे तक रणक्षेत्र में तब्दील रहा सहरसा जंक्शनPosted by : railgenie on Jun 11, 2012 - 15:00:24 PM |
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सहरसा : सहरसा रेलवे स्टेशन पर रविवार को बेकाबू हो चुकी हिंसक भीड़ ने जिस कदर उत्पात मचाया उससे रेलवे में सुरक्षा व्यवस्था की कलई खुल गयी। सुरक्षा एवं संरक्षा के प्रति रेल प्रशासन कितना लापरवाह है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले तीन-चार दिनों से हजारों की संख्या में यात्री जनसेवा एक्सप्रेस ट्रेन पकड़ने के लिए जमे रहे। हर रोज करीब दो सौ से अधिक टिकट वापस होता रहा। किंतु, न तो स्टेशन पर सुरक्षा की कोई व्यवस्था की गयी और न ही स्थानीय रेल अधिकारियो के द्वारा रेल मुख्यालय को यात्रियों की भीड़ के मद्देनजर स्पेशल ट्रेन चलाने का आग्रह किया गया। रविवार को जब जनसेवा एक्सप्रेस ट्रेन नहीं पकड़ पाने से मजदूरों के सब्र का बांध टूट गया और तोड़फोड़ मचा रहे थे तो जीआरपी व आरपीएफ के जवान रेल थाना एवं आरपीएफ पोस्ट में छुपे रहे। पुलिस बल को नहीं देखकर असमाजिक तत्वों को इस हंगामे में घुसपैठ करने का पूरा मौका मिल गया। पिछले तीन चार दिनों से रेलवे द्वारा चलाए गए अतिक्रमण हटाओ अभियान जिन लोगों के दुकानें टूटी, उनमें से कुछेक ने आगे बढ़कर तोड़फोड़ व आगजनी शुरू की तो भीड़ भी हिंसा पर उतर आए। भीड़ में शामिल 10 से 15 वर्ष की उम्र के दर्जन भर से अधिक बच्चे रोड़ेबाजी कर रहे थे। रोड़ेबाजी शुरू होने के बाद भगदड़ मच गयी। महिलाएं व बच्चे ट्रेन की आपातकालीन खिड़की से कूद-कूदकर भागने लगे। इसमें कई लोग जख्मी हो गए। महिलाएं दहशत में रही तो बच्चे चिल्लाते रहे। इस दौरान शाहपुर की रीता झा, सहमौरा की पिंकी कुमारी का लड़का, प्रमोद कुमार के आठ वर्षीय पुत्र को चोट आयी। बुकिंग काउंटर पर जब उपद्रवी तोड़फोड़ व आगजनी कर रहे थे तब उस दृश्य को कैमरे में कैद कर रहे प्रेस संवाददाता मयंक के सिर में बुंकिंग काउंटर का तोड़ा जा रहा शीशा छिटककर जा लगा वो जख्मी हो गए। सूचना पाकर जिला पुलिस बल के जवान पर पहुंचे और हुंड़दंगियों को खदेड़कर स्थिति को नियंत्रित किया। --------------- वर्दी में रहते तो पब्लिक मारती सर! सहरसा : हंगामे के दौरान जब जिला प्रशासन के पदाधिकारी जिला पुलिस बल के साथ पहुंची तो जीआरपी और आरपीएफ के जवानों को नहीं पाकर आश्चर्यचकित रह गए। दरअसल जीआरपी व आरपीएफ के पदाधिकारी व अधिकांश जवान वर्दी में नहीं थे। एसडीओ राजेश कुमार ने जब जानना चाहा कि जीआरपी व आरपीएफ वाले कहां है तब इनलोगो ने परिचय देना शुरू किया। एसडीओ राजेश कुमार ने कहा कि अगर आपलोग वर्दी में रहते तो भीड़ इतनी अराजक नहीं होती। इस पर जीआरपी के एक दारोगा ने कहा कि नहीं सर, वर्दी में रहते तो पब्लिक मारती। कोई पहचाने नहीं इसलिए तो वर्दी नहीं पहनी थी। उनके इस जवाब पर वहां उपस्थित लोगों की हंसी छूट आयी। --------------- सहरसा पहुंचने से पहले ही भर जाती है जनसेवा सहरसा : सहरसा रेलवे स्टेशन से पंजाब, हरियाणा के लिए हर रोज पांच से छह हजार मजदूर जाते हैं। किंतु, जनसेवा एक्सप्रेस जब सहरसा प्लेटफार्म पर पहुंचती तो यह लगभग भरी रहती है। नतीजतन यहां पर चढ़ने वालों मजदूरों को जगह नहीं मिलती है। वो किसी तरह ट्रेन में सवार हो जाते हैं। गेट, शौचालय के नजदीक, रास्ते में जहां जगह मिलता है वहीं बैठ जाते हैं। पिछले एक माह से जनसेवा का परिचालन विलंब से हो रहा है। दरअसल इसे सफाई के लिए बरौनी भेजा जाता है। वहां से यह सहरसा विलंब से पहुंचती है। पहले कहा जाता है कि सहरसा में वाशिंग पिट नहीं होने की वजह से इसे बरौनी भेजना पड़ता है। अब सहरसा में वाशिंग पिट बन चुका है। किंतु, अभी, भी यह ट्रेन बरौनी से ही आती है। भीड़ की वजह से तेज तर्रार लोग कोशी एक्सप्रेस, पैसेन्जर तथा राज्यरानी एक्सप्रेस से मानसी खगड़िया पहुंच कर जनसेवा एक्सप्रेस पकड़ लेते है। जब ट्रेन सहरसा पहुंचती है तो यहां पर यात्रियों को बोगी में जगह नहीं मिलती है और लोगों को आक्रोश फूट पड़ता है। |