Indian Railways News => Topic started by RailXpert on Jul 03, 2013 - 21:00:45 PM


Title - डीआरएम ने कहा सॉरी, यात्री की मौत पर देते रहे सफाई
Posted by : RailXpert on Jul 03, 2013 - 21:00:45 PM

रायपुर रेल मंडल के प्रबंधक पीएस मिश्रा ने स्वीकार किया है कि सोमवार को मुंबई-हावड़ा एक्सप्रेस में यात्री संतोष दास की मौत का जिम्मेदार रेलवे है। उन्होंने कहा कि वह इसके लिए खेद व्यक्त करते हैं।  उन्होंने कहा कि घटना के लिए दोषी व्यक्ति को छोड़ा नहीं जाएगा।

उन्होंने बताया कि घटना की जांच के लिए एडीआरएम किशोर वी मडावी की देखरेख में कमेटी गठित की गई है। इसकी रिपोर्ट बुधवार को आ सकती है। रिपोर्ट में दोषी रेलकर्मी पर कार्रवाई होगी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रथम दृष्ट्या नागपुर मंडल से भी गलती हुई है। दोषियों पर कार्रवाई के लिए नागपुर मंडल के डीआरएम से भी बात की जा रही है।

मंगलवार को दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने यह स्वीकारोक्ति करने के साथ ही सफाई भी दी कि रेलवे के पास डॉक्टरों की भारी कमी है। डॉक्टरों के 40 फीसदी पद खाली पड़े हैं। इस वजह से रेलवे का अस्पताल चलाना भी मुश्किल हो गया है। इन हालात में यात्रियों के लिए डॉक्टर का इंतजाम करना रेलवे के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।



नागपुर मंडल बचता रहा जवाबदेही से

जानकारी के मुताबिक, नागपुर और रायपुर रेल मंडल दोनों ही, इसके लिए बराबर जिम्मेदार हैं। जांच रिपोर्ट के लिए दर्ज तीन पेज के बयान में मुंबई-हावड़ा के टीटीई राजेश कुमार ने कहा है कि उन्होंने तीन से चार बार नागपुर मंडल कंट्रोल रूम को संतोष दास की तबीयत खराब होने की जानकारी दी। नागपुर मंडल ने डोंगरगढ़ डीएमओ के साथ ही रायपुर कंट्रोल रूम को इसकी जानकारी दी। डोंगरगढ़ में डॉक्टर नहीं आने पर नागपुर मंडल अपनी जिम्मेदारी से बच गया।





समय पर इलाज से बच सकती थी जान

मृत रेल यात्री के पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक यदि समय पर उसे इलाज मिल जाता तो जान बचाई जा सकती थी। यात्री को पहले हार्ट अटैक आया, इसके बाद प्रेशर बढ़ने से ब्रेन हेमरेज हो गया। जीआरपी के एसआई एलएस राजपूत ने बताया कि सोमवार रात 11 बजे ही मृतक को आंबेडकर हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया था।

मंगलवार दोपहर तीन बजे पीएम रिपोर्ट में हॉस्पिटल के डॉक्टरों कहा कि यात्री की मौत हार्ट अटैक के साथ ही ब्रेन हेमरेज से हुई है। डॉक्टरों के मुताबिक, यदि हार्ट अटैक के दौरान ही यात्री का इलाज किया जाता तो इसे ब्रेन हेमरेज तक जाने से बचाया जा सकता था। हार्टअटैक आने के बाद ही इसका प्रेशर ब्रेन पर चढ़ गया और यात्री की मौत हो गई। ऐसे में यह स्पष्ट हो गया है कि रेलवे की घोर लापरवाही के कारण ही एक यात्री की जान चली गई।



प्लेटफॉर्म नंबर-1 से 5 पर 20 मिनट में पहुंचे

इसके बाद राजनांदगांव, दुर्ग और भिलाई तक कहीं भी यात्री के उपचार की व्यवस्था नहीं की गई। यही हाल रायपुर स्टेशन आने पर भी हुआ। यहां भी डॉक्टर नहीं पहुंचा था। अपनी लापरवाही को छिपाने के लिए डॉक्टर ने गलत बयान दर्ज कराया। उनके बयान पर ध्यान देने पर जांच टीम ने पाया कि स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर-1 से 5 तक पहुंचने में 20 मिनट का समय लग गया।

इस घटना के लिए रायपुर स्टेशन के प्रबंधक भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। डेढ़ घंटे तक गाड़ी खड़ी रहने और यात्रियों के हंगामा करने के बावजूद उन्होंने चिकित्सा के अन्य इंतजाम करने की पहल नहीं की। रेलवे का डॉक्टर नहीं आने पर रायपुर स्टेशन पर संजीवनी-108 को बुलाकर मरीज को आंबेडकर हॉस्पिटल में भर्ती कराया जा सकता था। ऐसा नहीं करने से यात्री ने छटपटाते हुए दम तोड़ दिया