Indian Railways News => Topic started by AllIsWell on Sep 19, 2013 - 20:56:24 PM


Title - ट्रेनें बढ़ीं और घट गए लिपिक
Posted by : AllIsWell on Sep 19, 2013 - 20:56:24 PM

प्रतापगढ़। आरक्षण काउंटर लिपिकों की कमी से जूझ रहा है। इसके चलते रोस्टर के तहत लगने वाली ड्यूटी में भी दिक्कत आ रही है। अगर कोई लिपिक छुट्टी पर जाता है तो एक काउंटर खाली हो जाता है। यह खाली काउंटर सीआरएस को स्वयं बैठकर चलाना पड़ता है।
आरक्षण काउंटर पर लोड बढ़ रहा है लेकिन कार्यालय में कर्मियों की कमी है। 12 लिपिकों के स्टाफ में महज सात से ही काम चलाया जा रहा है। इन दिनों रात में 10 बजे तक काउंटर हो जाने के कारण दो घंटे की अतिरिक्त ड्यूटी भी बढ़ गई है। साल भर पहले आरक्षण कार्यालय में 12 लिपिकों की तैनाती थी। इसके बाद एक-एक करके पांच लिपिकों का ट्रांसफर कर दिया गया। इसके बाद दो ट्रेनें भी बढ़ीं। लोगों की भीड़ भी बढ़ी। इसके साथ ही निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने दो की जगह तीन काउंटर खोलने का निर्देश दे दिया। हालत यह है कि अब लिपिकों को छुट्टी लेने में दिक्कत आ रही है। यदि किसी को आकस्मिक छुट्टी लेनी पड़ती है तो एक काउंटर खाली रहता है। खाली काउंटर पर सीआरएस को बैठकर टिकट बनाने पड़ते हैं। यही नहीं दो काउंटर के अलावा एक पर्यवेक्षक काउंटर बनाया गया है। इसे महज खोला भर गया है। इस पर कोई बैठता नहीं है। इसका कारण है कि इस पर बैठने के लिए कोई आदमी ही नहीं होता है। हफ्ते में पड़ने वाली 40 ड्यूटी को यदि ठीक से चलाना है तो लिपिकों के रेस्ट भी रद करने पड़ते हैं। एकाउंट, चार्ट के अलावा फेलियर आदि की समस्या होने पर भी लोगों की जरूरत पड़ती है। ऐसे में आदमी कम होने से भारी समस्या हो जाती है।
आरक्षण काउंटर पर कम से कम 12 लिपिकों की जरूरत होती है। इसमें दो प्रधान आरक्षण लिपिक, दो पर्यवेक्षक, एक सीआरएस के साथ ही सात लिपिक होने चाहिए। बावजूद इसके सब को मिलाकर महज सात ही होते हैं। इस बाबत सीनियर डीसीएम को कई बार बताया गया लेकिन अभी तक आश्वासन के सिवा कोई कार्य नहीं हो सका है।