Indian Railways News => Topic started by Mafia on Apr 17, 2013 - 08:00:23 AM


Title - जानिए, भारतीय रेल से जुड़े रोचक तथ्य
Posted by : Mafia on Apr 17, 2013 - 08:00:23 AM

रेलवे सफर के 160 साल पूरे हो गए। आज जब देश में हाई स्पीड बुलेट ट्रेनों को चलाने की बात हो रही है, तब यह जानना काफी रोचक है कि कभी बैल भी ट्रेन को खींचा करते थे। आज 200 हॉर्स पावर के इंजन की जगह छह हजार हॉर्स पावर के इंजन ट्रेन को खींच रहे हैं। पहली ट्रेन जब चली थी, तो 400 यात्रियों ने इसका लुत्फ उठाया था। आज रोजाना ढाई करोड़ लोग ट्रेन से सफर करते हैं। मंगलवार को ट्रेन को दौड़ते हुए 160 साल पूरे हो गए। कभी छुक-छुक करते भाप के इंजन से शुरू हुआ रेलवे का सफर नॉन स्टॉप दुरंतो तक जा पहुंचा है। डबल डेकर ट्रेन भी ट्रैक पर उतर चुकी है। 1855 का ‘फेयरी क्वीन’ इंजन आज भी ट्रैक पर दौड़ रहा है। हरियाणा के रेवाड़ी में एक लोको शेड तैयार किया गया, जहां 10 से अधिक भाप इंजन को संजो कर रखे गए हैं।
सबसे पहली ट्रेन
भारत में सबसे पहले मुंबई से ठाणे के बीच 16 अप्रैल 1853 को भाप इंजन से ट्रेन चली थी। इस ट्रेन में 14 कोच लगे थे, जिसे लोकोमोटिव सुल्तान, सिंध और साहिब नाम के इंजन खींच रहे थे। आज करीब 19 हजार डीजल और इलेक्ट्रिक इंजन ट्रेन को खींच रहे हैं।
7500 स्टेशन पर रुकती हैं ट्रेन
आज 160 साल बाद साढ़े सात हजार स्टेशनों के बीच ट्रेन चल रही है। इसी तरह जब पहली बार रेल चली थी, तो महज 400 लोग सवार हुए थे। आज ट्रेन की सवारी रोजना ढाई करोड़ से अधिक लोग कर रहे हैं।
वर्तमान में भारत में रेल का जाल 64 हजार 600 किलोमीटर तक फैल गया है। 1 लाख 15 हजार किलोमीटर ट्रैक पर आने-जाने के रास्ते है। भारतीय रेलवे का नेटवर्क दुनिया में अमेरिका, रूस और
चीन के बाद चौथा सबसे बड़ा है। शुरुआती दौर में मुंबई से ठाणे के बीच महज 34 किलोमीटर का ही ट्रैक तैयार किया गया था।
चीन से पिछड़े, 65 साल में सिर्फ 11हजार किमी. बढ़े
आजादी के बाद रेलवे के इतिहास की कुछ विडंबनाएं भी रहीं। भारत में पहली ट्रेन 1853 में दौड़ी थी, जबकि चीन में इसके 23 साल बाद यानी 1876 में ट्रेन चली। जब देश आजाद हुआ तो यहां रेल नेटवर्क
की लंबाई 53,596 किलोमीटर थी, जबकि चीन का रेल नेटवर्क मजह 27 हजार किमी. ही था।
इसके विपरीत आज भारत में जहां महज 64 हजार 600 किलोमीटर का नेटवर्क है, वहीं चीन का रेलवे नेटर्व 78 हजार
किलोमीटर पहुंच गया है। रेलवे अधिकारी भी मानते हैं कि आजादी के बाद तकनीक का तो विकास हुआ, यात्रियों की संख्या भी बढ़ी, लेकिन ट्रैक निर्माण में वृद्धि नहीं हुई। आंकड़े बताते हैं कि 1980 में जहां 61,240
किलोमीटर रेलवे का नेटवर्क था,
वहीं 2012 में 64,600 यानी 32 साल में महज 3,360 किलोमीटर ही रेल लाइन को बिछाने में कामयाबी मिली। इतना ही नहीं 20, 275 किमी पर ही इलेक्ट्रिक ट्रेन दौड़ती है, जो कुल नेटवर्क का महज 31.39 प्रतिशत ही है। अंग्रेजों ने कालका-शिमला ट्रैक को महज
10 साल में तैयार कर लिया था, लेकिन आजादी के बाद श्रीनगर प्रोजेक्ट 40 साल में भी तैयार नहीं हो सका।
एक नजर....
. 1969 में सबसे पहली दिल्ली-
हावड़ा राजधानी चली।
. 1985 में कंप्यूटराइज्ड टिकट आरक्षण शुरू किया गया।
. 1997 में तत्काल टिकट की शुरूआत की गई थी।
. 2005 में ई-टिकटिंग की शुरूआत हुई।
. 18946 से अधिक डीजल और इलेक्ट्रिक इंजन ट्रेनों को खींच रहे है।