Indian Railways News => | Topic started by nikhilndls on Aug 10, 2012 - 15:00:10 PM |
Title - उस पावन डकैती की स्मृतियां आपको काकोरी बुला रही हैं...Posted by : nikhilndls on Aug 10, 2012 - 15:00:10 PM |
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काकोरी (लखनऊ)। 87 साल पहले अंग्रेजी साम्राज्य की नींव हिला देने वाली ट्रेन डकैती का मूक गवाह काकोरी स्मारक आज भी वीरों की वीरता की याद दिलाता है। कुछ बदहाली जरूर है लेकिन देश पर मर मिटने वालों की यादों को ताजा करने के लिए लोग गाहे बगाहे यहां आया करते हैं। वे चाहते हैं कि काकोरी स्मारक को और बेहतर बनाया जाए ताकि अधिक से अधिक लोग शहीदों की वीरगाथा को जान सकें। काकोरी कांड दिवस के मौके पर बृहस्पतिवार को एक बार फिर इस स्थल पर लोग जुटेंगे, दीप प्रज्जवलित होंगे और चाहत यही होगी कि बहादुरों की यह बारगाह पूरे साल ऐसे ही रौशन रहे। काकोरी ट्रेन डकैती कांड की स्मृति में हरदोई रोड के बाज नगर गांव के निकट शहीद स्मारक बना है। 9 अगस्त 1925 को घटी इस घटना की याद में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 19 दिसम्बर 1983 में काकोरी शहीद समारक का शिलान्यास किया था। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने 25 जून 1999 को काकोरी शहीद मन्दिर का लोकार्पण किया था। हालांकि 5 एकड़ में बने स्मारक में आज चारों ओर बड़ी-बड़ी घास उग गई है। स्मारक के चौकीदार अशोक कुमार ने बताते हैं कि पिछली बार 19 दिसम्बर को शहीद दिवस के अवसर पर घास की सफाई कराई गई थी। तब से अभी तक घास की कटिंग नहीं हुई है। पूरे स्मारक में 32 प्रकाश स्तम्भ लगे हैं। लेकिन एक-दो को छोड़कर सभी के बल्ब गायब हो चुके हैं। कुछ टूटे भी पड़े हैं। चौकीदार राजकुमार मिश्रा ने बताया कि बदहाली का आलम यह है कि पिछले 19 दिसम्बर को मन्दिर की पुताई मौजूदा उपजिलाधिकारी सदर के प्रयासों से हुई थी। काकोरी शहीद स्मारक में आने वाले पर्यटकों के बारे में पूछने पर बताया कि ज्यादातर स्कूली बच्चे आते हैं। लेकिन बदहाली देखकर निराश होते हैं। क्रान्तिकारियों की जिन्दगी व ट्रेन डकैती कांड से संबंधित पुस्तकों वाला पुस्तकालय भी स्मारक परिसर में है, जो विशेष अवसरों पर ही खुलता है। इसकी जिम्मेदारी नगर पंचायत कार्यालय काकोरी की है। नौजवान क्रांतिकारियों ने ब्रिट्रिश हुकूमत को चुनौती देने के लिए डाउन सहारनपुर पैसेन्जर ट्रेन से जा रहे सरकारी खजाने को लूटने की योजना बनाई थी। 9 अगस्त 1925 को काकोरी के बाजनगर गांव के पास चेन खींच कर सरकारी खजाना लूट लिया गया। इस कांड में 10 लोग शामिल थे। बिट्रिश सरकार ने 50 लोगों को गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया। डेढ़ साल तक मुकदमा चलने के बाद राम प्रसाद बिस्मिल, राजेन्द्र लाहिड़ी, ठा. रोशन सिंह, व अशफाकउल्ला खां को फांसी की सजा दी गई। |