Indian Railways News => | Topic started by riteshexpert on Aug 01, 2012 - 00:19:59 AM |
Title - असीं चीकां मारीयां, पर ओह नहीं रुकयाPosted by : riteshexpert on Aug 01, 2012 - 00:19:59 AM |
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ब्यास/अमृतसर रोजाना की तरह घर से निकले। बस में बैठे। दोस्तों के साथ गप्पे और पढ़ाई की बातें। कहीं कुछ भी ऐसा नहीं लग रहा था कि हादसा होने वाला है। सब मस्त थे। ट्रैक के पास जैसे ही बस पहुंची कुछ ने देखा कि दूसरी तरफ से ट्रेन आ रही है। ...ट्रेन...ट्रेन...दो-तीन के चिल्लाते ही सभी चिल्लाने लगे...ट्रेन...ट्रेन...लेकिन ड्राइवर ने नहीं सुना। उसने कान में हेडफोन लगा रखा था। सांसें ठंडी होने लगी और हाथ-पांव फूलने लगे...'यादातर ने आंखें बंद कर लीं और वाहेगुरु को याद किया...जोर से बस को झटका लगा...अंधेरा छा गया...उसके बाद क्या हुआ कुछ पता नहीं...खुद को अस्पताल में देखकर आंखों में आंसू आ गए। घरवालों ने बताया बहुत बड़ा हादसा था। अभी भी सोचते हैं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं... -जैसा अस्पताल में दाखिल साहिल प्रीत सिंह, जश्नप्रीत सिंह और तेजबीर सिंह ने बताया |