Indian Railways News => | Topic started by riteshexpert on Jun 11, 2012 - 12:00:11 PM |
Title - अंग्रेज दे गए रेल पटरियों की सौग ातPosted by : riteshexpert on Jun 11, 2012 - 12:00:11 PM |
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चक्रधरपुर : अनुमंडल में परिवहन व्यवस्था की बात करे, तो अनुमंडल मुख्यालय समेत गोईलकेरा, सोनुवा व मनोहरपुर में रेल यातायात की अन्य इलाकों से बेहतर सुविधा उपलब्ध है। लेकिन इसके लिए विशेषकर अंग्रेजों को ही धन्यवाद देना होगा कि उन्होंने करीबन सवा सौ साल पहले बंगाल नागपुर रेलवे कम्पनी की ओर से चक्रधरपुर होकर रेल लाइन बिछाई। 22 जनवरी 1890 को पहली बार चक्रधरपुर के लोगों ने रेल की छुक छुक सुनी थी। जबकि नागपुर से आसनसोल के लिए वाया चक्रधरपुर पटरियां बिछाई गई। अंग्रेजों द्वारा बिछाई गई रेल लाइनों का विस्तार आजादी के छह दशक बाद भी मामूली तौर पर ही हो पाया। जानकार क्षेत्र में बेहतर सुविधाएं न मिल पाने व नई यात्री ट्रेन शुरू नहीं किए जाने के लिए क्षेत्र से मजबूत राजनीतिक पैरोकार की कमी को मुख्य गतिरोध बताते हैं। निरंतर बढ़ती आबादी और यातायात की जरूरत का बोझ ढोने के बावजूद क्षेत्र से न तो नई ट्रेन दी जाती है और न ही सुविधाओं में बढ़ोत्तरी ही की जा रही है। चक्रधरपुर में ब्रिटिश काल से ही रेल मंडल मुख्यालय होने के कारण यहां तो रेलवे यातायात की अपेक्षाकृत बेहतर सुविधाएं मयस्सर है, लेकिन इलाके के छोटे स्टेशनों के हालात अब भी नहीं बदले। लोटापहाड़, टुनिया, गोईलकेरा, सोनुवा, डेरवां, पोसैता, जराईकेला आदि स्टेशनों से रेल यात्रा करने वालों की परेशानी यह है कि अगर उनकी ट्रेन छूट गई, तो अगली ट्रेन बारह पन्द्रह घंटे बाद ही मिलेगी। चक्रधरपुर रेल मंडल में आजादी के बाद पिछले छह दशक में माल ढुलाई व आमदनी तो गुणात्मक तरीके से बढ़ी, लेकिन संसाधनों की वृद्धि में इस परिमाण में ध्यान नहीं दिया गया। वर्तमान में भी ग्रामीण आबादी को रेल सुविधा मुहैया कराने के बजाए रेलवे का पूरा ध्यान अधिक से अधिक माल ढुलाई कर ज्यादा से ज्यादा आमदनी बढ़ाने पर है। लेकिन बढ़ी हुई आमदनी का नाममात्र ही मंडल में खर्च किया जाता है। अब जबकि रेल यातायात सेचुरेशन प्वाइंट पर है, रेलवे बोर्ड ने तीसरी लाइन की मजबूरी समझ इसका निर्माण कार्य शुरू कराया है। जानकार बताते है कि रेल सुविधाओं में इजाफा तीसरी लाइन बनने के बाद ही हो पाएगा। लेकिन रेल परियोजनाओं की धीमी गति इसमें मुख्य बाधा बन सकती है। वैसे इलाके में उपलब्ध ट्रेनों के अनुपात में यात्रियों की संख्या बढ़ने से अतिरिक्त ट्रेनों व बोगियां बढ़ाए जाने की तत्काल जरूरत है। इधर वर्षाें के इंतजार के बाद क्योंझर रेल मार्ग से तो जुड़ गया लेकिन इस रूट से मात्र एक ही यात्री ट्रेन चलाई जा रही है। इस ट्रेन को बड़बिल तक बढ़ाए जाने का दो वर्ष से इंतजार है। क्योंझर का टाटा, राउरकेला व चक्रधरपुर से जोड़े जाने तथा उत्कल एक्सप्रेस व कुछ अन्य ट्रेनों को क्योंझर के डायवर्टेड रूट से चलाए जाने की मांग को रेल प्रबंधन लम्बे अर्से से अनसुना करता रहा है। क्योंझर के लिए चक्रधरपुर, राउरकेला व टाटानगर से रेल चलाए जाने पर बड़ी आबादी को इसका लाभ मिलेगा। फिलहाल सड़क की दु़रावस्था के कारण लोग बेहद मुश्किल हालात में सफर करते हैं। वायु यातायात की जहां तक बात है, तो चक्रधरपुर के लोगों को रांची और कोलकाता पर ही निर्भर रहना पड़ता है। रांची से भी दिल्ली के अलावा अन्य स्थानों के लिए वायु यातायात की सुविधा नहीं है। जबकि मात्र 113 किमी की दूरी होने के कारण रांची में वायु यातायात की बेहतर सुविधा होने की स्थिति में इस क्षेत्र के लोगों को भी इसका लाभ मिलेगा। |