Indian Railways News => Topic started by messanger on Jun 08, 2013 - 21:02:09 PM


Title - बरसात में डूब गई वाशिंग लाइन
Posted by : messanger on Jun 08, 2013 - 21:02:09 PM

प्रतापगढ़। ऊंची नीची वाशिंग लाइन हादसे का सबब बन सकती है। बरसात के कारण इसकी एक तरफ की लाइन पानी में डूब गई है। ट्रेनों की धुलाई के दौरान पानी तो बहता ही है बरसात के कारण इसकी पटरी भी पानी में डूब गई है।
स्टेशन पर बनी वाशिंग लाइन पर ट्रेनों की धुलाई के साथ चेकिंग भी होती है। ट्रेनों की चेकिंग तो हो जा रही है लेकिन इसके ट्रैक के बारे में कुछ नहीं सोचा जा रहा है। इसकी एक तरफ की लाइन ऊंची है तो दूसरी तरफ की काफी नीचे है। इसके चलते कभी भी ट्रेन को इस पर ले जाने के समय हादसा हो सकता है। बरसात के कारण इसकी एक लाइन पानी में डूब गई है। महज आठ कोच की यह वाशिंग लाइन उपेक्षा की शिकार है। पाइप टूटने के कारण पानी भी बहता रहता है। अक्सर डूबी रहने के कारण वाशिंग लाइन की एक पटरी नीचे धंस गई है। ऐसा भी नहीं है कि रेलवे प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है। मगर इसके बाद भी इसकी मरम्मत नहीं की जा रही है। शुक्रवार सुबह बरसात हुई तो इसकी एक पटरी पानी में पूरी तरह डूब गई। इसी दौरान पद्मावत ट्रेन भी आ गई। समस्या को देखते हुए सुबह पद्मावत ट्रेन को बड़ी सावधानी के साथ इस लाइन पर ले जाया गया। इस बारे में एईएन अर्जुन सिंह का कहना है कि वाशिंग लाइन को बढ़ाया जाना है। बढ़ाने के दौरान ही इसे ठीक कर लिया जाएगा।
जनता एक्सप्रेस ट्रेन में पानी न आने से यात्री परेशान रहे। बाथरूम में पानी न आने से लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ा। इसकी शिकायत यात्रियों ने टीटी से की। वाराणसी-हरिद्वार ट्रेन में पानी न भरे जाने के कारण उसकी टंकियां खाली हो गईं। वाराणसी से ट्रेन चली तो रास्ते में यात्रियों को पानी नहीं मिला। बाथरूम में पानी न आने से यात्री परेशानी में पड़ गए। प्रतापगढ़ में ट्रेन खड़ी हुई तो यात्रियों ने टीटी से इसकी शिकायत की।
बरसात होते ही रेलवे स्टेशन के एसएस आफिस में पानी भर गया। सुबह 10 बजे जब उनका कार्यालय खुला तो उसमें पानी फैला हुआ था। इस दौरान उनकी मेज पर रखे अभिलेख भी भीग गए थे। उधर जीआरपी के मालखाने में भी छत टपकने से पानी भर गया।
कई साल से एसएस आफिस की छत टपकती है। बरसात आते ही छत पर पन्नी डाल दी जाती है। वहीं जीआरपी थाने का मालखाना भी टपकता है। शुक्रवार सुबह अचानक बरसात हो गई। इसका अंदाजा रेलकर्मियों को नहीं था। इससे छतें टपकना शुरू हो गईं। सुबह जब रेल कर्मियों ने एसएस का आफिस खोला तो कमरे में पानी भरा था। मेज पर रखे रजिस्टर भीग गए थे। इस पर सफाईकर्मी को बुलाकर पानी निकलवाया गया और अभिलेख सुखाए गए। छत टपकने को लेकर उन्होंने एईएन को मेमो भेजा है।