Indian Railways News => Topic started by railenquiry on Jul 07, 2013 - 04:00:25 AM


Title - Metro Train, Signal System, Installation, Design, Metro Rail Safety, Jaipur : तैयारी मेट्रो की और सि
Posted by : railenquiry on Jul 07, 2013 - 04:00:25 AM

जयपुर मेट्रो में सिग्नलिंग सिस्टम के इंस्टॉल करने के समय और डिजाइन को लेकर खुद मेट्रो के अधिकारी अंदाज नहीं लगा पाए। वे यह भी अंदाज नहीं लगा पाए कि रेलवे ट्रैक बनने, ट्रायल होने और तैयारी पूरी होने के बाद मुंबई से आने वाली कमिश्नर ऑफ मेट्रो रेल सेफ्टी टीम उन्हें कितने दिन में रिपोर्ट देगी।
ये दो प्रमुख कारण ऐसे हैं जिनका अंदाज नहीं लगाए जाने के कारण ही जयपुर मेट्रो के अधिकारियों ने काम पूरा होने की टारगेट डेट गलत तय कर दी। शानदार ट्रेन और मजबूत ट्रैक तैयार करने वाली मेट्रो टीम यहां धोखा खा गई। अब राज्य सरकार को मेट्रो काम पूरा होने के लिए टारगेट मुक्त करना पड़ा है।
मेट्रो के विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया में सिग्नलिंग सिस्टम लगाने वाली गिनी-चुनी कंपनियां हैं। जयपुर मेट्रो के लिए भी फ्रांस की कंपनी को यहां बुलाया गया है। दिल्ली, बेंगलुरू या अन्य स्थानों पर लगाए गए सिग्नलिंग सिस्टम में जितना-जितना समय लगा, जरूरी नहीं कि उतना समय ही जयपुर मेट्रो के लिए भी लगे। अलग-अलग जगह पर डिजाइन के हिसाब से अलग-अलग समय लगता है।
छोटी दूरी में इंस्टॉल नहीं हो सकता सिस्टम
असल में जयपुर मेट्रो के सिग्नलिंग के लिए डिजाइन मानसरोवर से चांदपोल तक के 9.2 किलोमीटर लंबे ट्रैक के लिए बनाया गया। इसके बाद इसे छोटा कर रेलवे स्टेशन तक के लिए बनाया गया। अधिकारियों का कहना है कि सिग्नलिंग सिस्टम के लिए इससे कम दूरी के लिए डिजाइन बनाना संभव नहीं है। जब तक ट्रैक और अन्य काम पूरे नहीं हो जाते, सिग्नल सिस्टम नहीं लगाए जा सकते। ऐसे में मानसरोवर से श्याम नगर तक ट्रेन चलाई ही नहीं जा सकती, जबकि सिग्नलिंग सिस्टम में सब कुछ स्पेसिफिक होता है, जिसमें देखा जाता है कि एक ट्रेन के बाद दूसरी कितनी देर में चलेगी, दोनों के बीच कितनी दूरी होगी, सभी ट्रेनों का राउंड किस गति से, किस प्रकार से होगा। इंडिकेशन्स कैसे काम करेंगे। इन सबको इंस्टॉल करने के लिए पूरा ट्रैक होना जरूरी है।
दिल्ली मेट्रो की ट्रेन यहां के सिग्नल में काम नहीं करती
जेएमआरसी के सीएमडी गोयल ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई रिव्यू मीटिंग में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि टारगेट डेट को छोड़ दें और क्वालिटी व सेफ्टी के लिए काम करें। ऐसे में हमने भी अधिकारियों को इस संबंध में निर्देशित कर दिया है। गोयल ने माना कि दिल्ली मेट्रो की पुरानी ट्रेन यहां के सिग्नलिंग सिस्टम से मैच नहीं कर पाती। उसकी गति धीमी है और वह यहां के सिग्नल पर संचालित नहीं हो सकती थी। ऐसे में उसे मैनुअल संचालित करना पड़ता है।