Indian Railways News => | Topic started by riteshexpert on Oct 31, 2012 - 18:00:27 PM |
Title - 40 घंटे के रेल सफर में खाना न पानीPosted by : riteshexpert on Oct 31, 2012 - 18:00:27 PM |
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इलाहाबाद। ट्रेन से लंबी दूरी की यात्रा पर निकलने की तैयारी कर रहे हैं तो खाने-पीने का भरपूर सामान लेकर जरूर निकलें। ट्रेन में पैंट्रीकार होने के भरोसे रहे तो पूरे सफर में भोजन, नाश्ता, चाय, नमकीन, बिस्किट और पानी के लिए तरसना पड़ेगा। वजह, इलाहाबाद से होकर चलने वाली लंबी दूरी की करीब दर्जनभर ट्रेनों में पैंट्री कार की ही नहीं है। इनके यात्री भूख और प्यास से परेशान हो रहे हैं। वातानुकूलित कोचों के यात्रियों का और भी बुरा हाल है। कोच में बाहरी वेंडर के न घुसने के कारण यात्रियों को घंटों प्यासे रहना पड़ रहा है। हावड़ा से इंदौर के बीच चलने वाली क्षिप्रा एक्सप्रेस का सफर 32-34 घंटे में पूरा होता है। ट्रेन के रूट में कई ऐसे सेक्शन हैं, जहां भोजन और नाश्ते की दूर, पीने का साफ पानी तक नसीब हो पाता। रास्ते में ट्रेन खड़ी हो गई तो यात्रियों के सामने भूख और प्यास से तड़पने के सिवा कोई रास्ता नहीं है। हावड़ा-ग्वालियर, आगरा और मथुरा तक चलने वाली चंबल एक्सप्रेस का और भी बुरा हाल है। यात्रियों की शिकायत है कि इलाहाबाद से झांसी के बीच छह से सात घंटे के सफर में कहीं भी भोजन नहीं मिलता। मानिकपुर, चित्रकूट जैसे बीच के स्टेशनों पर ओवरचार्जिंग भी होती है। छपरा और गोरखपुर से छूटने वाली गोदान एक्सप्रेस में इलाहाबाद से जौनपुर के बीच पानी भी नहीं मिलता। छपरा तक जाने के दिनों में इलाहाबाद से भटनी के बीच यात्री चाय-पानी को तरस जाते हैं। मुंबई रूट की ट्रेनों में पैंट्रीकार न होने की समस्या कुछ ज्यादा ही है। अचरज यह कि 19 घंटे में सफर तय करने वाली इलाहाबाद-मुंबई दूरंतो में भोजन, नाश्ते और पानी की व्यवस्था है लेकिन 24-28 घंटे में मुंबई पहुंचने वाली वाराणसी-मुंबई महानगरी एक्सप्रेस, फैजाबाद/रायबरेली-मुंबई साकेत एक्सप्रेस, गोरखपुर-मुंबई काशी एक्सप्रेस, इलाहाबाद-मुंबई तुलसी एक्सप्रेस में भी पैंट्रीकार नहीं है। छपरा-दुर्ग सारनाथ एक्सप्रेस और गोरखपुर-दुर्ग एक्सप्रेस के यात्रियों ने शिकायत कर हार मान ली। इस रूट पर इलाहाबाद से बिलासपुर के बीच कहीं भी पसंद का भोजन मिलना संभव नहीं है। रीवांचल, महाबोधि एक्सप्रेस, इलाहाबाद से देहरादून और काठगोदाम तक चलने वाली लिंक एक्सप्रेस, हरिद्वार एक्सप्रेस, नौचंदी एक्सप्रेस में भी खानपान की सुविधा नहीं है। जबकि, यह ट्रेनें 15 घंटे से ज्यादा समय तक दूरी तय करने वाली हैं। पैंट्रीकार सुविधा का नहीं है कोई नियम रेलवे के अफसर भी मानते हैं कि ट्रेनों में पैंट्रीकार की सुविधा देने या न देने का कोई निर्धारित नियम नहीं है। कानपुर-नई दिल्ली शताब्दी में पांच घंटे के सफर के दौरान भी यात्रियों को कॉफी, स्नैक्स, पानी मिलता है लेकिन 35-40 घंटे की दूरी तय करने वाली ट्रेनों के यात्रियों को रेलवे नहीं पूछ रहा है। एनसीआर के सीपीआरओ संदीप माथुर भी लंबी दूरी की ट्रेनों में पैंट्रीकार न होने की साफ वजह नहीं बता पाते। उनका कहना है कि ट्रेन शुरू होने के दौरान ही रेलवे बोर्ड पैंट्रीकार लगाने या न लगाने का फैसला करता है। |