रेलवे में ठेकेदारों की चल रही मनमानी by AllIsWell on 10 June, 2012 - 06:00 AM | ||
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AllIsWell | रेलवे में ठेकेदारों की चल रही मनमानी on 10 June, 2012 - 06:00 AM | |
बिलासपुर ! रेलवे के कई विभाग व यात्री सुविधाएं निजी कंपनियों के हवाले कर दी गई है। ठेके पर सारा कामकाज चलने के कारण रेलवे बेफ्रिक हो गया है। ठेकेदारों कार्यों पर ध्यान न देकर उन्हें बेलगाम छोड़ दिया गया है। कैंटीन में खाद्य वस्तुओं की मनमाने दामों पर बिक्री, प्लेटफार्म सहित ट्रेनों में साफ-सफाई का अभाव की मार यात्रियों को झेलनी पड़ रही है। आलम यह है कि मुख्य जोनल दफ्तर की सुरक्षा निजी एजेंसियों के भरोसे की जा रही है और आरपीएफ के जवान अधिकारियों के बंगलों के सुरक्षा गार्ड बना दिए गए हैं। इन ठेकों पर रेल्वे प्रतिमाह लाखों रूपए खर्च कर रही है। रेलवे की जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनियों पर होने के कारण रेल्वे प्रशासन बेफिक्र है। कम्पनियां अपने तरीके से कर्मचारियों को काम ले रही है। रेल्वे स्टेशन की साफ-सफाई का काम कोलकाता की एजेंसी को तीन माह के ठेके में दे दिया गया है। रेलवे प्रशासन द्वारा तीन करोड़ में टेंडर देने के बाद भी स्टेशन की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है। रेलवे के अधिकांश विभागों को प्राइवेट कंपनियां चला रही है। केंटीन सर्विस से लेकर प्लेटफार्म की साफ-सफाई व ट्रेनों में पानी भरने के लिए प्राइवेट कम्पनी के कर्मचारी नियुक्त किये गये हैं। वहीं कमर्शियल विभाग एवं एसी मेकेनिकल विभाग, इंजीनियरिंग विभाग भी ठेके पर चल रहा है। जिन पर अधिकारियों का दबाव नहीं होने के कारण कर्मचारी चिंतामुक्त हैं जहां करोड़ों रूपये रेल प्रशासन इन कंपनियों को दे रहा है। वहीं सफर करने वाले यात्रियों को ट्रेनों में कोई सुविधा प्राप्त नहीं होती है। ट्रेनों में संडास की साफ-सफाई तक नहीं होती है। सफर के दौरान यात्री मजबूरी में इनका इस्तेमाल करते हैं। एसी कोच में ठेकेदार यात्रियों को फटे कम्बल, चादर एवं तकिया देते हैं। जिसकी खबर रेलवे को होते हुए भी वह खामोश रहती है। रेल्वे के अधिकारियों का कहना है कि कर्मचारियों की कमी होने के कारण रेल्वे के सारे कार्य ठेके में चल रहे हैं। रेल्वे प्रशासन की स्थिति यह हो गई है कि मुख्य जोनल आफिस सुरक्षा की जिम्मेदारी निजी सुरक्षा एजेंसियों के हाथों में सौंप दिया गया है। कई ऐसे कम्पनियां हैं जहां कमीशन के आधार पर गार्डों को नियुक्ति की जाती है जो दोनों तरफ से अपना कमीशन वसूलते हैं ऐसे ही सुरक्षा गार्ड जोन मुख्यालय की सुरक्षा के लिये तैनात है जहां आरपीएफ का मात्र एक जवान तैनात रहता है जबकि जोन कार्यालय होने के नाते आरपीएफ के हाथों सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी होनी चाहिए, लेकिन ऐसा किया जाकर उच्च अधिकारी अपने बंगलों में आरपीएफ के जवानों को तैनात करवा लेते हैं। |