रेलवे को याद आए अपने by AllIsWell on 26 August, 2012 - 12:00 AM | ||
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AllIsWell | रेलवे को याद आए अपने on 26 August, 2012 - 12:00 AM | |
शहर प्रतिनिधि, गोरखपुर : आखिरकार, रेलवे को अपने ही याद आए। चिकित्सालयों में चिकित्सकों की कमी को पूरा करने के लिए उसने सेवानिवृत्त चिकित्सकों पर भरोसा जताया है। रेलवे बोर्ड ने अब उन्हें सीएमपी ( कांट्रेक्ट मेडिकल प्रेक्टिशनर) पर रखने का फरमान जारी कर दिया है। यानी, यह योजना सफल रही तो रेलवे में कभी चिकित्सकों की कमी नहीं हो पाएगी। बोर्ड के शासनादेश के मुताबिक जोनल कार्यालय अपने यहां के सेवानिवृत्त चिकित्सकों को 65 वर्ष तक सीएमपी पर रख सकते हैं। यानी, 60 वर्ष पर रिटायर्ड होने वाले डाक्टर 5 वर्ष तक और अपनी सेवा दे सकते हैं। बोर्ड ने उनका मानदेय 46 हजार रुपये निर्धारित किया है। साथ ही कहा कि उनका मानदेय सेवानिवृत्त होने के समय मिलने वाले वेतन से अधिक नहीं होना चाहिए। बता दें कि सीएमपी पर बाहर कि चिकित्सक एक साल कि लिए रखे जाते हैं। इस आधार पर उन्हें 8 साल तक रखा जाता है। पूर्वोत्तर रेलवे का ललित नारायण मिश्र चिकित्सालय हो या देश का कोई अन्य रेलवे अस्पताल। कमोबेश सबकी एक जैसी ही स्थिति है। हर जगह चिकित्सकों का टोटा है। जहां सीएमपी पर चिकित्सक रखे जाते हैं वे भी ज्यादा दिनों तक नहीं टिकते। ऐसे में डाक्टरों की हमेशा कमी बनी रहती है। पर, दिक्कत रेलकर्मी उठाते हैं। चिकित्सकों की कमी या अनुभवहीन चिकित्सकों के चलते उनका सही से इलाज नहीं हो पाता। ऐसे में वे न चिकित्सालय से खुश रहते हैं और ना ही डाक्टरों से संतुष्ट हो पाते। रेल प्रशासन चाहकर भी अपने कर्मचारियों को बेहतर सुविधा प्रदान नहीं कर पाता। विभागीय सूत्रों की माने तो अधिकतर चिकित्सक सीएमपी पर रेलवे की नौकरी नहीं करना चाहते। एक तो कर्मचारियों की भीड़ उपर से अधिकारियों और यूनियनों का दबाव। यही नहीं जो चिकित्सक रखे जाते हैं वह भी नए होते हैं। ऐसे में वे यहां आकर भी ठहर नहीं पाते। कुछ माह या साल बाद वे अन्य विभागों या निजी प्रेक्टिस का चयन कर लेते हैं। फिर, समस्या जस की तस बनी रहती है। पर, अब ऐसा नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि ललित नारायण मिश्र रेलवे चिकित्सालय में भी चिकित्सकों की कमी है। विशेषज्ञ चिकित्सक और सर्जन के अभाव में यह अस्पताल अपना वजूद खोता नजर आ रहा है। एक चिकित्सक के जिम्मे कई विभाग हैं। ऐसे में यहां से मरीजों का भी मोहभंग हो रहा है। अति आधुनिक सुविधाओं से संपन्न 366 बेड वाले इस अस्पताल में बेड खाली पड़े रहते हैं। हालांकि विभाग का कहना है कि 32 चिकित्सकों की जगह भर दी गई है। |