रेलवे की जमीन पर जबरिया मौज by nikhilndls on 13 May, 2012 - 09:01 PM | ||
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nikhilndls | रेलवे की जमीन पर जबरिया मौज on 13 May, 2012 - 09:01 PM | |
भागलपुर : रेलवे की जमीन पर अतिक्रमणकारियों की मौज है। शहर तथा आसपास के क्षेत्रों में रेलवे की जमीन पर वर्षो से काबिज है अतिक्रमणकारी। स्थिति यह है कि अतिक्रमणकारियों ने रेलवे स्वास्थ्य केंद्र, क्वार्टरों व स्टेशन भवन पर भी कब्जा जमा रखा है। ----------- विक्रमशिला स्टेशन भवन जमा रखा है मालिकाना हक भीखनपुर से लेकर बरारी तक करीब साढ़े पांच किलोमीटर तक रेलवे की जमीन पर लोगों ने झोपड़ियां व पक्के मकान बना लिए हैं। यही नहीं विक्रमशिला में तो नवनिर्मित स्टेशन भवन पर ही मालिकाना हक जमा रखा है। मालिकाना हक जमाने वाले व्यक्ति का कहना है कि भवन उसकी जमीन पर बनाई गई है। स्टेशन भवन को खाली करवाने के लिए रेलवे द्वारा कभी प्रयास नहीं किया गया। रजिस्ट्री तक कर दी रेलवे की जमीन रेलवे लोको कॉलोनी के पास मोजाहिदपुर थाना क्षेत्र में रेलवे की जमीन है। प्राइवेट लैंड बता कर प्रोपर्टी डीलरों द्वारा रेलवे की जमीन को बेच दी गई। नाम नहीं छापने की शर्त पर रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि उस जमीन पर कुछ लोगों ने मकान भी बना लिए हैं। जिस जमीन को प्रोपर्टी डीलरों द्वारा बेची गई है उस भूमि पर रेलवे द्वारा दावा किया गया है कि यह जमीन रेलवे की है। अधिवक्ता द्वारा रेलवे की ओर से नोटिस भी दी गई है। ------------- कई बार हटाया गया अतिक्रमण रेलवे की जमीन व क्वार्टरों को कई बार खाली कराया गया। भीखनपुर गुमटी नंबर तीन के समीप स्थित क्वार्टरों व जमीन को 2010 में खाली कराया गया। उक्त क्वार्टरों को रेल कर्मियों को आवंटित किया गया था। कुछ रेल कर्मी क्वार्टर में शिफ्ट भी कर गए, लेकिन कई लोग आज भी क्वार्टर में प्रवेश करने में आनाकानी कर रहे हैं। दूसरी ओर यार्ड के विस्तारीकरण के मद्देनजर भीखनपुर गुमटी नंबर एक से तीन तक रेलवे लाइन पर बसे लोगों को खाली करने का निर्देश दिया गया। कार्रवाई की चेतावनी देते हुए 2009 से 2011 तक कई बार नोटिस भी दी गई, लेकिन अब तक खाली नहीं कराया जा सका। कोट : बार-बार नोटिस देने के बाद रेलवे की ओर से तारीख पर हाजिर नहीं होने पर न्यायालय द्वारा एक्स पार्टी डिग्री दे दी गई। विक्रमशिला स्टेशन भवन व मेाजाहिदपुर थाना क्षेत्र स्थित जमीन का पुनर्विलोकन के लिए रेलवे द्वारा न्यायालय में मुकदमा दायर किया गया है। खरीदने से पूर्व एक व्यक्ति हाल में मिला और बताया कि विक्रेता के पास न्यायालय की डिग्री संबंधी कागजात हैं। सच्चाई बताने के बाद उक्त व्यक्ति ने जमीन रजिस्ट्री करवाने से इंकार कर दिया। अखिलेश कुमार, आईओडब्ल्यू |