पता नहीं कब दौड़ेगी उम्मीदों की रेल कुछ दोष लोहे का तो कुछ लुहार का। by riteshexpert on 07 August, 2012 - 12:00 PM | ||
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riteshexpert | पता नहीं कब दौड़ेगी उम्मीदों की रेल कुछ दोष लोहे का तो कुछ लुहार का। on 07 August, 2012 - 12:00 PM | |
आखिर कब दौड़ेगी कोसी में उम्मीदों की रेल। हमेशा से ये सपना देखने वाले कोसी के इलाके के लोगों में सड़क महासेतु के बाद उम्मीदों की किरण जगी। लेकिन सच्चाई है कि दस वर्ष गुजर गये कोसी पर पुल का निर्माण न हो सका। हालांकि पुल पर गार्टर चढ़ाये जाने का कार्य अब अंतिम चरण में है।6 जून 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा 365 करोड़ की परियोजना कोसी पर रेल महासेतु की नींव रखी। कुछ दोष लोहे का तो कुछ लुहार का। शुरुआती दौर में कोसी ने भी कार्य में व्यवधान उत्पन्न किया तो विभाग की भी सुस्ती ही दिखाई पड़ी। समय बीतता गया और कार्य की प्रगति धीमी रही। वर्ष 2009 में तांतिया नामक कंपनी ने 39 पाया ढ़ालकर एक फेज का काम पूरा कर दिया। पाया पर गार्टर डालने का काम जीपीटी इन्फ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड नामक कंपनी को मिला है जो 56 करोड़ का काम है। रेलवे के ट्रैक के लिये मिट़टी का काम जीपीटी त्रिवेणी जेवी के द्वारा पुल से पांच किमी पूरब की ओर किया जा रहा है जो परियोजना 32 करोड़ की लागत का है। पुल से पश्चिम की ओर कुमार कंस्ट्रक्शन नामक कंपनी को कार्य दिया गया है। अब तक ट्रैक लगाये जाने की निविदा तक नहीं निकाली गई है। उधर नई ट्रैक के लिये भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी नहीं शुरु की गई है।--------------------अमान परिवर्तन बना सपना 8 फरवरी 2004 को तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार, रक्षा मंत्री जार्ज फर्नाडीश एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री शरद यादव ने 335 करोड़ की लागत वाली सहरसा-फारबिसगंज रेलखंड के अमान परिवर्तन परियोजना की नींव रखी। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस रेलखंड की रक्षा मंत्रालय से स्वीकृति के बाद इसे वर्ष 2003-04 के पूरक बजट में भी लिया गया। कुछ महीने बाद सरकार बदल गई और परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई। अगली सरकार के कार्यकाल में ये घोषणा भी की गई कि 2009 तक सभी छोटी लाइनों को बड़ी लाइन में परिवर्तित कर दिया जायेगा। बावजूद स्थिति जस की तस रही। इधर 21 जनवरी 2012 को इसके कुछ हिस्से में यानी फारबिसगंज से राघोपुर तक मेगा ब्लाक किया गया है। बांकी के हिस्से में आज भी अंग्रेज जमाने के ट्रैक पर ही सरक रही है रेल। |