गुस्साए यात्रियों ने स्टेशन में की तोड़फोड़ by riteshexpert on 26 July, 2012 - 06:19 AM | ||
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riteshexpert | गुस्साए यात्रियों ने स्टेशन में की तोड़फोड़ on 26 July, 2012 - 06:19 AM | |
निचले असम में हुई हिंसक घटनाओं का असर घोक्साडांगा रेलवे स्टेशन पर भी महसूस किया गया। मंगलवार को सारे दिन घोक्साडांगा स्टेशन पर इंतजार करते हुए ऊब चुके बामनहाट-सिलीगुड़ी डीएमयू ट्रेन के यात्रियों ने स्टेशन परिसर में जमकर तोड़फोड़ की। वहां के स्टेशन मास्टर को मारा पीटा जिसके बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई। हालांकि इस दौरान रेल कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए कोई सशस्त्र पुलिस कर्मी वहां मौजूद नहीं था। स्थानीय लोगों के हस्तक्षेप से स्टेशन मास्टर की जान बची। संबंधित ट्रेन के छूट जाने के बाद माथाभांगा पुलिस के सीआइ के नेतृत्व में विशाल पुलिस बल पहुंचा। बाद में जब ट्रेन छूटने को हुई तो मामला शांत हुआ। स्टेशन अधीक्षक ने बताया कि इस बाबत डीआरएम व अन्य शीर्ष अधिकारियों को अवगत कराया गया है। उन्होंने बताया कि रेल कर्मचारी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। जानकारी अनुसार मंगलवार की सुबह 11:08 बजे असम जाने वाली सरायघाट एक्सप्रेस को घोक्साडांगा स्टेशन पर रोक दिया गया। देर तक रुके हुए यात्रियों ने खाने पीने की कमी को देखते हुए अपनी नाराजगी जताई। हंगामे की असली वजह यही थी। बाद में स्थानीय बीडीओ कल्लोल राय, विधायक विनय कृष्ण बर्मन घटनास्थल पर पहुंचे तो मामला शांत हुआ। इसके बाद शाम सात बजे के करीब सरायघाट एक्सप्रेस कूचबिहार के लिए रवाना हुई। इसके बाद मालदा-न्यू कूचबिहार डीएमयू ट्रेन को रवाना किया गया। रात 11 बजकर पचास मिनट पर सिलीगुड़ी-बामनहाट डीएमयू ट्रेन घोक्साडांगा स्टेशन पहुंची। 12 बजे इसी ट्रेन के यात्रियों ने हंगामा शुरू किया। इन्होंने स्टेशन मास्टर के कक्ष में घुसकर वहां के फर्नीचर वगैरह तोड़े। आरोप है कि आक्रोशित यात्रियों ने स्टेशन मास्टर से हाथापाई भी की। स्टेशन मास्टर को बचाने के क्रम में स्थानीय युवक समीर विश्वास भी जख्मी हुए। यात्रियों ने स्टेशन की खिड़की, दरवाजे, विद्युत बोर्ड समेत कई जरूरी चीजें क्षतिग्रस्त कर दी। 12:20 मिनट पर सिलीगुड़ी-बामनहाट ट्रेन को न्यू कूचबिहार के लिए रवाना किया गया। जानकारी मिलने पर घोक्साडांगा थाने के ओसी जयदेव घोष के नेतृत्व में पुलिस की टीम पहुंची। इसके कुछ देर बाद सीआइ विनोद छेत्री पहुंचे। तब तक पूरी घटना घट चुकी थी। उस रात स्टेशन परिसर में पुलिस पिकेट बैठाई गई। इस घटना के बादउ से स्टेशन मास्टर और अन्य कर्मचारी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। दरअसल, रेलवे संपत्ति की सुरक्षा का दायित्व जीआरपी और आरपीएफ का होता है। लेकिन स्टेशन परिसर में कोई जीआरपी नहीं दिखाई देता है। बिना आग्नेयास्त्र के ही दो आरपीएफ जवान तैनात रहते हैं जिनसे सुरक्षा की विशेष उम्मीद नहीं की जा सकती। इन दोनों का भी दोपहर तक कोई अतापता नहीं था। स्टेशन अधीक्षक परिमल चंद्र दे ने बताया कि इस घटना के बाबत डीआरएम को अवगत कराया गया है। यहां के स्थानीय नागरिक कमेटी व अन्य निवासियों की मदद नहीं मिली होती तो हालात संगीन हो सकते थे। घोक्साडांगा थाने की पुलिस ने भी मदद की है। |