संसद में उठा रेल यात्रियों की असुविधा का मामला by railenquiry on 05 September, 2012 - 08:00 PM | ||
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railenquiry | संसद में उठा रेल यात्रियों की असुविधा का मामला on 05 September, 2012 - 08:00 PM | |
होशियारपुर : भारतीय रेल यातायात से केंद्रीय रेल मंत्रालय को प्रतिदिन करोड़ों का राजस्व प्राप्त होता है परंतु सामान्य श्रेणी के यात्रियों की संख्या अधिक होने के बावजूद भी उनके आराम के विषय पर रेल मंत्रालय की अनदेखी के चलते यात्रियों के मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। आज संसद में प्रश्नकाल के दौरान राज्यसभा सांसद अविनाश राय खन्ना ने सामान्य श्रेणी के यात्रियों के लिए रेलगाडिय़ों में कितने डिब्बे जोड़े जाते हैं और इन डिब्बों में यात्रियों की संख्या क्या होती है, संबंधी प्रश्र उठाया। उन्होंने सरकार से यह भी प्रश्न किया कि इन डिब्बों से रेलवे कितनी आय अर्जित करता है और क्या इन डिब्बों में क्षमता से अधिक यात्री यात्रा करते हैं जिससे यात्रियों के मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। श्री खन्ना ने सरकार से जानना चाहा कि रेलवे इन डिब्बों की संख्या बढ़ाने की योजना बना रही है, अगर नहीं तो इसके क्या कारण हैं? संसदीय कार्यालय से श्री खन्ना के राजनीतिक सचिव संजीव तलवाड़ ने यह जानकारी देते हुए बताया गया कि श्री खन्ना के प्रश्नों का उत्तर देते हुए केंद्रीय रेल मंत्रालय से राज्य मंत्री भरत सिंह सोलंकी ने बताया कि भारतीय रेलें राजधानी एक्सप्रैस, शताब्दी एक्सपै्रस, दुरंतो एक्सप्रैस, गरीब रथ एक्सप्रैस, युवा एक्सप्रैस आदि गाडिय़ों में केवल आरक्षित श्रेणी के डिब्बे होते हैं। उन्होंने बताया कि शेष मेल/एक्सप्रैस गाडिय़ां अपनी संरचना में कम से कम 2 साधारण श्रेणी के डिब्बों तथा 2 शयनयान श्रेणी के डिब्बों के साथ चलती हैं जिनमें साधारण श्रेणी के यात्रियों को समायोजित किया जाता है। श्री सोलंकी ने बताया कि वर्ष 2007-08 से सभी मेल/एक्सप्रैस गाडिय़ों में सामान्यत: 6 साधारण श्रेणी के तथा 2 शयनयान श्रेणी के डिब्बे लगाए गए हैं जो साधारण श्रेणी के यात्रियों के लिए हैं। सोलंकी ने बताया कि बहरहाल, भारतीय रेलवे द्वारा जन-साधारण एक्सप्रैस, जन सेवा एक्सप्रैस, जननायक एक्सप्रैस, कर्मभूमि एक्सप्रैस तथा कुछ इंटरसिटी गाडिय़ां भी चलाई जाती हैं जिनमें केवल साधारण श्रेणी के डिब्बे होते हैं और ये केवल साधारण श्रेणी के अनारक्षित यात्रियों के लिए हैं। रेल राज्य मंत्री ने बताया कि सभी लम्बी दूरी की मेल/एक्सप्रैस गाडिय़ों में सामान्य श्रेणी के डिब्बों को पर्याप्त संख्या में उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान अनारक्षित खंड से आमदनी लगभग 11917.16 करोड़ रुपए थी। श्री खन्ना ने राज्य मंत्री के जवाब पर कहा कि सामान्य श्रेणी से जो आमदन प्राप्त होती है उसे इसी श्रेणी को और सुविधाजनक बनाने में लगाया जाए जिससे ये मुसाफिर आराम से सफर कर सकें। |